अग्निपथ योजना का मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा
सेना में भर्ती की केंद्र सरकार की नई स्कीम पर बवाल के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है.
अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिका को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि अग्निपथ योजना में भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. उनकी ओर से कहा गया कि कई छात्रों के भविष्य दांव पर हैं, विशेष रूप से वायु सेना के लिए तैयारी कर रहे युवाओं की. वकील ने कहा कि 2017 से 70 हजार से अधिक छात्रों को ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग के बाद छात्रों का आश्वासन दिया गया कि नियुक्ति पत्र राजी किया जाएगा लेकिन अब ये योजना लाई गई है.
अग्निपथ स्कीम के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के वकील की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई के लिए राजी हो गया. बेंच की ओर से कहा गया कि याचिका को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें.
पहले भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं याचिकाएं
बता दें कि अग्निपथ योजना को लेकर 20 जून को एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार की ओर से अग्निपथ योजना में भर्ती को लेकर जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई थी. अर्जी में कहा गया था कि संसद की मंजूरी के बिना लाई गई अग्निपथ योजना असंवैधानिक और गैर कानूनी है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस योजना को रद्द करे. वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले भी याचिका दाखिल कर मांग की गई कि अग्निपथ योजना के खिलाफ देश भर में हो रही हिंसा की एसआईटी जांच कराई जाए और स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाए. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने अग्निपथ योजना के परीक्षण के लिए एक्सपर्ट कमेटी के गठन की गुहार भी लगाई थी. मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस की अगुवाई में एक एक्सपर्ट कमेटी बने जो अग्निपथ योजना के प्रभाव का आकलन करे.
क्या है अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना के तहत युवाओं में चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा लेकिन किसी को पेंशन या ग्रेजुएटी नहीं मिलेगी. सैनिकों को मिलने वाली कैंटीन की सुविधा भी अग्निवीरों को नहीं मिलेगी. चार साल की सेवा खत्म होन पर सेवा निधि के तौर पर करीब 12 लाख रुपये अग्निवीरों को मिलेंगे. सेवा निधि पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा.
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